Dhaval Trivedi

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अविस्मरणीय होली

फाल्गुन का महीना चल रहा है। यह महीना सभी महीनों में मुझे सर्वाधिक प्रिय है क्योंकि इस महीने में नव वर्ष का प्रारम्भ हो जाता है। खेतो में बहार आती है और वृक्षों पर नई कोपले खिल उठती है।

 फाल्गुन में मनाया जाने वाला सबसे बड़ा और रंगीन त्योहार होली होता है। इस त्योहार का उद्देश्य न केवल लोगों की जिंदगी में रंग भरना है बल्कि इसका उद्देश्य दुषित हो चुकी हवा को शुद्ध करना भी है।

 मुझे मेरे बचपन की एक अविस्मरणीय होली याद आती है। सन 2005 की बात थी। उस समय मैं पांँचवीं कक्षा में पढ़ता था। मेरी अवस्था तकरीबन दस ग्यारह वर्ष के करीब रही होगी। इस होली से पहले मुझे मेरे घरवालों ने कभी होली खेलने का अवसर नहीं दिया था।


मैंने सोच लिया था कि यदि मेरे दोस्त होली खेल सकते हैं तो मैं क्यों नहीं खेल सकता?


यह प्रश्न पूछ पूछकर मैंने अपने माता-पिता को परेशान कर रखा था। तब उन्होंने मुझे बहुत समझाने की कोशिश की कि तुम्हें दिखाई नहीं देता। तुम्हारी ऑंखो में होली का रंग जाने पर तुम्हें समस्या हो सकती है।


परन्तु मैं ठहरा जिद्दी...। मैं अपनी जिद पर अड़ा रहा। मेरे दोस्तों ने भी मुझे बढ़ावा देना शुरू कर दिया। वह कहने लगे कि अंकल आंटी इसे खेलने दीजिए हमारे साथ। हम-सब इसका ख्याल रखेंगे।


फिर क्या था। हममें से सबसे समझदार और बड़े दोस्त राहुल को मेरी जिम्मेदारी देकर कहा कि इसका पूरा ध्यान रखना होगा। अगर इसे कुछ भी हुआ तो तुम्हारी ख़ैर नहीं।


फिर आया होली का वह दिन जिस दिन हम-सब होली खेलने वाले थे।


आइए आपको ले चलता हूंँ होली की पूर्व संध्या पर जहांँ हम होलिका दहन की तैयारी कर रहे थे। संध्या 7:00 बजे होलिका दहन होना था। तैयारियांँ पूरी हो चुकी थीं। वहांँ से कुछ ही दूरी पर पानी के ड्रम रखे हुए थे। हम दोस्तों ने जाकर उन ड्रमों में रंगों की थैलियांँ खाली कर दीं और होलिका दहन होते ही हम हर किसी पर रंगीन पानी फेंकने लगे।


होली के सुप्रसिद्ध गाने स्पीकर पर बज रहे थे। इस बीच हम बच्चों की शरारतें भी बढ़ती जा रही थीं। आने जाने वाले सभी लोगों पर हम रंगीन पानी फेंकने लगे। रात 12:30 बजे तक हमने खूब मस्ती की। माता जी ने आकर डांँट डपट कर मेरे सभी दोस्तों को घर जाने की हिदायत दी और मुझे खींच कर घर ले आई। उन्होंने मुझे कहा कि यदि कल सुबह होली खेलनी है तो जल्दी से सोना पड़ेगा।


दूसरे दिन होली खेलने के लिए मैं इतना उत्सुक था कि  5:30 बजे से ही उठकर तैयार हो गया था। मैं मेरी नई पिचकारी बार-बार हाथ लगाकर देख रहा था कि वह ठीक से काम कर रही है या नहीं।

अविस्मरणीय होली


हम सभी दोस्त हाथों पैरों पर तेल लगाकर 7:00 बजे तक होली खेलने के लिए इकट्ठा हो गए। मेरे सभी दोस्तों ने मुझपर 'बुरा ना मानो होली है' कह कर रंग डाला। फिर क्या था मैंने भी सबको रंग डाला। हम सब पानी की पिचकारी भर-भर कर एक-दूसरे पर रंगीन पानी फेंकने लगे। हमारी एक दोस्त सीमा ने पीछे से आकर मुझ पर पूरी बाल्टी रंगों की डाल दी। फिर हम-सब दोस्तों ने भी उसे चार-पांच बाल्टी रंग डालकर नहला दिया। वो ठण्ड से कांँपने लगी। हमने कहा 'बुरा ना मानो होली है' और सभी होली खेलने लगे। हम सब मिलकर दोपहर 3:00 बजे तक जमकर होली खेलते रहे। फिर अपने घर जाकर स्नान करके नए कपड़े पहन कर सभी दोस्त मिलकर मेरे घर पर आ गए। मेरी मॉं ने घर पर पानीपूरी की जबरदस्त पार्टी रखी थी। सभी दोस्तों ने मिलकर पानीपूरी पर खूब हाथ साफ किया और पेट फटने तक पानीपूरी का स्वाद चखा। फिर सभी को एक एक गिलास ठंँडाई दी गई। ठंँडाई पीकर सभी दोस्त वहीं पर सो गए।

 ऐसा था मेरा पहला अनुभव होली खेलने का।



उसके बाद हम हर साल अलग-अलग तरह से होली खेलते रहे। आज वह सभी पुराने दोस्त जाने कहांँ कहांँ चले गए पर मुझे आज भी मेरी पहली होली याद आती है। जो मस्ती हम सभी ने मिलकर की थी वैसी अब नहीं कर पाते।



मेरा यह छोटा सा अनुभव आप सभी को कैसा लगा। अपनी बहुमूल्य समीक्षा देकर मुझे कृतार्थ करें। धन्यवाद।🙏🙏🙏 

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1 Comments

Shaba

09-Apr-2021 03:38 PM

सचमुच अविस्मरणीय क्षण थे।

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